Sunday 18 June 2023

adipurush Movie Review In Hindi(आदिपुरुष)

Hello Dosto,


राघव ने मुझे पाने के लिए शिव धनुष तोड़ा था,अब उन्हें रावण का घमंड तोडना होगा।' राम भक्त हनुमान के सामने जानकी द्वारा कहा गया यह संवाद ही 'आदिपुरुष' की कहानी का सेंट्रल थीम है। बचपन से हम रामायण और रामलीलाओं में राघव द्वारा अन्याय पर न्याय की जीत वाली इस महान गाथा को देखते-सुनते और पढ़ते आए हैं। 'तानाजी' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार पा चुके ओम राउत ने निसंदेह आज की जनरेशन के लिए इस महाकाव्य को भव्य स्केल पर बड़े पर्दे पर साकार किया है, मगर वो यह समझने में चूक गए की दशकों से हम जिस रामायण को देखने -सुनने के आदी हैं, उसकी एक बहुत ही मजबूत छवि हमारे दिलों में बसती हैं। ऐसे में उस छवि के साथ एक्सपेरिमेंट्स में सावधानी बरतना जरूरी है, और यही उनकी भूल है।



'आद‍िपुरुष' की कहानी

कहानी की शुरुआत महर्षि वाल्मीकि की रामायण की तर्ज पर ही होती है, जहां राम सिया राम गीत के माध्यम से बैकड्रॉप में राम और सीता का विवाह, कैकेयी द्वारा राजा दशरथ से तीन वचन की मांग, राम-सीता-लक्ष्मण का बनवास, छोटे भाई भरत द्वारा बड़े भाई की पादुकाएं ले जाना जैसे प्रसंग दर्शाए गए हैं। राघव (प्रभास) अपनी पत्‍नी जानकी (कृति सेनन) और शेष (सनी सिंह) के साथ पिता के दिए गए वचनों का पालन करने के लिए वनवास काट रहे हैं। उधर लंका में रावण की बहन अपनी कटी हुई नाक लेकर भाई लंकापति रावण (सैफ अली खान) के पास जाकर विलाप करती है। वह भाई को प्रतिशोध के लिए ब्रह्मांड की सर्वाधिक सुंदरी जानकी को अपहृत कर लाने के उकसाती है। जंगल में जानकी को एक स्वर्ण मृग दिखाई देता है, जिसे पाने के लिए वह लालायित है। जानकी की इच्छा को पूरा करने के लिए राघव स्वर्ण मृग के पीछे दौड़ते हैं, इस बात से अंजान कि वह महज रावण का एक छलावा है।

शेष को अपने भाई राघव की मदद की गुहार सुनाई देती है। वह जानकी को लक्ष्मण रेखा पार न करने की हिदायत देकर राघव की सहायता के लिए निकल पड़ता है और इधर रावण भिक्षा लेने के बहाने साधु का वेश धारण करके सीता को हर ले जाता है। बस उसके बाद राघव द्वारा सुग्रीव और हनुमान की मदद से लंकेश का संहार ही कहानी का क्लाइमेक्स है। इसके बीच में जटायु-रावण का युद्ध, शबरी के बेर, बाली-सुग्रीव का मल्ल युद्ध, रामसेतु का बनना, हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी का लाना, इंद्रजीत और मेघनाद वध जैसे प्रसंगों को भी समेटा गया है।

'आद‍िपुरुष' का रिव्‍यू

'आदिपुरुष' के फर्स्‍ट लुक को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था और उसके बाद उसमें काफी बदलाव किए गए। मगर मूल चीजें जस की जस रह गईं। इसमें कोई दो राय नहीं कि VFX के मामले में फिल्म एक विजुअल ट्रीट साबित होती है, मगर CJI की खामियां रह गई हैं। 2D में वीएफएक्स और सीजीआई का काम प्रभावशाली नहीं है। जबकि 3D में यह दमदार है। सबसे बड़ी दिक्कत आती है, स्क्रीनप्ले और डायलॉग्‍स में। मनोज मुंतशिर के लिखे डायलॉग्‍स में जहां राघव और रावण के चरित्र समृद्ध हिंदी जैसे, 'जानकी में मेरे प्राण बसते हैं और मर्यादा मुझे अपने प्राणों से भी प्यारी है।' बोलते नजर आते हैं, वहीं दूसरी ओर, बजरंग (देवदत्त) और इंद्रजीत (वत्सल सेठ) 'तेरी बाप की जलेगी', 'बुआ का बगीचा समझा है क्या?' जैसे संवाद बोलकर उपहास का पात्र बन जाते हैं।

एक्‍ट‍िंग के मामले में प्रभास ने राघव को संयमित और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में निभाया है। रावण के रूप में सैफ अली खान खूब जंचते हैं, मगर डिजिटिल टेक्नीक से उनकी कदकाठ को कुछ ज्यादा ही विशालकाय दिखाया गया है। जानकी के रूप में कृति सेनन परफेक्ट रहीं हैं। खूबसूरत लगने के साथ -साथ उन्होंने दमदार अभिनय किया है, मगर उन्हें उतना स्क्रीन स्पेस नहीं मिला पाया है। लक्ष्मण के रूप में सनी सिंह में वो तेजी नजर नहीं आती, जिसके लिए लक्ष्मण पहचाने जाते हैं। बजरंग के रूप में देवदत्त ने अपने चरित्र के साथ न्याय किया है। इंद्रजीत की भूमिका में वत्सल सेठ को अच्छा-खासा स्क्रीन स्पेस मिला है, जिसे उन्होंने खूबसूरती से निभाया है। मंदोदरी के किरदार में सोनल चौहान महज दो सीन में नजर आती हैं।

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